हमारी दंड मशीन
“कमाण्डेंट ने डिजाइन बनाई थी?” अन्वेषक ने पूछा, “तो क्या उन्होंने स्वयं ही सब कुछ किया था? क्या वे सिपाही, जज, मेकेनिक केमिस्ट और ड्राफ्टसमेन सभी कुछ थे?”
“आप बिल्कुल ठीक कह रहे है, वे ही सब कुछ थे”, ऑफिसर ने सिर हिलाते हुए अनजाने से गर्व भरे चेहरे के साथ कहा। फिर उसने अपनी हथेलियों को अलट-पलट कर ध्यान से देखा, वे उसे उतने साफ नहीं लगे कि वे नक्शे को छूने लायक हों, इसलिए वह बाल्टी के पास गया और उन्हें एक बार फिर से धोया।
इसके बाद उसने छोटा-सा चमड़े का ब्रीफकेस निकालते हुए कहा, “हमारी दण्ड-मशीन बहुत कष्टदायक नहीं दिखती। जो भी अपराध सजायाफ्ता ने किया होता है, उसकी देह पर हेरो द्वारा लिख दिया जाता है। जैसे इस सजायाफ्ता की”, ऑफिसर ने उसकी ओर इशारा करते हुए कहा, “देह पर लिखा जाएगा- अपने ऑफिसरों का उचित आदर-सम्मान न करना।”
अन्वेषक ने उस आदमी पर नज़र डाली, जो ऑफिसर के इशारा करते ही अपनी जगह पर सिर झुकाए खड़ा हो गया था। यह स्वाभाविक ही था कि वह पूरी ताकत लगा सब कुछ सुनने की कोशिश कर रहा था, जो वहाँ कहा जा रहा था, लेकिन उसके काँपते ओंठ, जिन्हें वह कस कर दबाए था,
स्पष्ट कर रहे थे कि उसके पल्ले कुछ भी नहीं पड़ रहा है। अन्वेषक के मन में भी कई प्रश्न उठ रहे थे जिन्हें वह पूछना चाहता था, लेकिन सजायाफ्ता को देख मात्र एक प्रश्न किया, “क्या इसे अपनी सजा मालूम है?” “नहीं” ऑफिसर ने तुरन्त उत्तर दिया और अपनी बात आगे बढ़ाने को उत्सुक हो गया, लेकिन अन्वेषक ने हाथ के इशारे से उसे रोक दिया।
“तो उसे यह खबर ही नहीं है कि इसे कौन-सी सजा दी गई है?” “नहीं”, ऑफिसर ने फिर दोहराया और एक पल इस इन्तजार में रुका कि शायद अन्वेषक अपने प्रश्न को विस्तार देगा, लेकिन उसे चुप देख कहा, “इसे बतलाने की कोई आवश्यकता ही नहीं है, भुगतने के बाद इसे पता चल ही जाएगा”।
अन्वेषक की कोई इच्छा आगे बोलने की न थी लेकिन उसने सजायाफ्ता की आँखों को अपने ऊपर रुका महसूस किया, जैसे वह पूछ रहा हो कि क्या वह इसका समर्थक है। इसलिए वह अपनी कुर्सी पर आगे की ओर झुका, अपनी कुर्सी पर पीछे टिककर वह बहुत देर से बैठा था और दूसरा प्रश्न किया,
“लेकिन इसे कम से कम यह तो पता होगा ही कि उसे दण्ड दिया गया है।” “नहीं यह भी नहीं”, अन्वेषक की ओर मुस्करा कर देखते हुए ऑफिसर ने कहा, जैसे वह इसी प्रकार के रिमार्क की अपेक्षा कर रहा था। “नहींऽऽ” अन्वेषक ने माथे पर चुहचुहा आए पसीने को पोंछते हुए कहा, “तब तो इसे यह भी पता नहीं होगा कि उसका बचाव पक्ष शक्तिशाली था या नहीं?” “उसे बचाव पक्ष रखने का कोई मौका ही नहीं दिया गया”,
ऑफिसर ने आँखें नचाते हुए कुछ ऐसे अन्दाज में कहा जैसे स्वयं से कह रहा हो कि इस प्रकार उसने अन्वेषक को शर्मनाक बातें सुनने से बचा लिया हो। “लेकिन इसे अपने बचाव का अवसर तो दिया ही जाना चाहिए था।” अन्वेषक ने कहा और कुर्सी से खड़ा हो गया।
ऑफिसर को महसूस हुआ कि इस मशीन पर उसके अधिकार को अच्छी-खासी चुनौती मिलने की सम्भावना है इसलिए वह सीधे अन्वेषक के पास पहुँच उसका हाथ पकड़, दूसरे हाथ से सजायाफ्ता की ओर इशारा किया जो अब तक सीधा तन कर खड़ा हो गया था क्योंकि फिलहाल वही ध्यान का केन्द्र था- (सैनिक ने जंजीर को एक झटका दिया) और कहा, “मामला कुछ यों है
मेरी नियुक्ति इस अपराधियों की कॉलोनी में न्यायाधीश के पद पर हुई है, क्योंकि मैं पूर्व कमाण्डेंट का सभी मामलों में सहायक हुआ करता था, साथ ही मशीन के बारे में दूसरों से अधिक जानकारी भी रखता हूँ। मेरा अटल निर्णायात्मक सि(ान्त है अपराध पर कभी सन्देह नहीं करना चाहिए। दूसरी अदालतें इस सिन्त पर नहीं चल सकतीं क्योंकि उनके पास बहुत सी राय उपलब्ध होती है साथ ही उनके ऊपर ऊँची अदालतें भी हैं उन पर निगरानी रखने के लिए। लेकिन यहाँ ऐसी स्थिति नहीं है,
अथवा कहना चाहिए पूर्व कमाण्डेंट के समय में तो नही ही थीं। अब नए कमाण्डेंट ने मेरे निर्णयों में बाधा पहुँचाने में रुचि दिखलाई है, लेकिन अभी तक तो मैं उन्हें दूर रखने में सफल रहा हूँ और विश्वास है आगे भी सफल रहूँगा। शायद आप चाहते हैं कि इस विषय में आपको मैं विस्तार से समझाऊँ।
दरअसल मामला बेहद सीधा-सादा है, जैसे अभी तक दूसरे रहे हैं। एक कैप्टन ने मुझे आज सुबह इस आदमी की शिकायत की, जिसकी ड्यूटी उसके यहाँ लगी हुई थी- और यह उनके दरवाजे़ के सामने पहरा देता था- इसे ड्यूटी के दौरान सोते हुए पाया गया- रात में सोने पर आपत्ति नहीं है लेकिन हर बार घंटा बजने पर खड़े होकर दरवाज़े को सेल्यूट करना इसकी ड्यूटी का अंग है। आप समझ रहे हैं न।
अब यह कोई अधिक कठोर ड्यूटी तो है नहीं, बेहद साधारण-सी ड्यूटी है। चूँकि इसे घरेलू नौकरी के साथ संतरी की नौकरी भी करनी थी। स्वाभाविक है दोनों ही नौकरियों में पर्याप्त सावधानी की आवश्यकता है। पिछली रात को कैप्टन ने इसकी ड्यूटी को चैक करने का निश्चय किया। जैसे ही घड़ी ने दो बजाए उसने दरवाज़ा खोला तो इस आदमी को गाढ़ी नींद में सिकुड़ कर सोते हुए पाया। उसने एक हैंटर उठाया और सपाक् से इसके चेहरे पर जड़ दिया।
हड़बड़ाकर खड़े हो गलती की माफी माँगने की जगह इस आदमी ने अपने मालिक के पैर पकड़े और उन्हें जोर से झिंझोड़ते हुए चिल्लाया, “हैंटर को फेंक दो, नहीं तो मैं तुम्हें कच्चा चबा जाऊँगा।” तो यह रहा सबूत। एक घण्टे पहिले कैप्टन मेरे पास आया तो मैंने उसका स्टेटमेंट लिखा और उसके बाद मैंने सजा भी लिख दी।